लेखनी प्रतियोगिता -21-Dec-2022 काव्य प्रतियोगिता
तुम वही हो
तुम वही हो जो भरे नित
इक मधुर कसक अलक्षित
जैसे जन्मों की प्यास को
आए मिटाने हो अपरिचित
उमड़ घुमड़ कर नैना झरते
स्वर्ण स्वप्न के मोती जैसे
मन मंदिर में आके बसे हो
हृदय सम्राट तुम ही हो मेरे
मेरे मन को शीतल करने
प्रेम की बरखा तुम हो लाए
बहुप्रतीक्षित बूंदों के जैसे
जो चातक की प्यास बुझाए
तुमको पाया खुद को खोकर
अपनी वेदना के मधुर क्रय से
गूंजता हिय में संगीत मधुरम
जैसे छिड़े सप्तस्वर तार झंकृत
बंदिनी बन निज को पाया मैंने
बंधन प्रीति का ऐसा जुड़ा है
तुम वही हो जिसने है जकड़ा
मुझको अपने प्रीति भँवर में
स्वरचित एवं मौलिक रचना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
22-Mar-2023 12:59 PM
बहुत ही सुंदर सृजन
Reply
Swati chourasia
22-Dec-2022 06:32 AM
बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌
Reply
Renu
21-Dec-2022 10:22 PM
👍👍🌺
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